तुम्हारे आसमां से जोड़ देता है ये एक टुकड़ा बादल। तुम्हारे आसमां से जोड़ देता है ये एक टुकड़ा बादल।
मेरे सेंटा मेरे पापा साथ हर दिन निभाते हैं रात हो या दिन मेरी हर मुस्कराहट की खातिर मेरे सेंटा मेरे पापा साथ हर दिन निभाते हैं रात हो या दिन मेरी हर मुस्कर...
"रोज़ वही काम,पर बड़े मसरूफ़ रहते हैं हम दोनों ही " "रोज़ वही काम,पर बड़े मसरूफ़ रहते हैं हम दोनों ही "
बाँस की हँस कर दोहरी होती टहनियाँ,जब बाँसुरी बन सजती हैं,कहती हैं व्यथा बिछोह की,किसी गडरिये के होठो... बाँस की हँस कर दोहरी होती टहनियाँ,जब बाँसुरी बन सजती हैं,कहती हैं व्यथा बिछोह की...
ऐसे ही मन के विचारों को कविता में बाँधा है, जो छू जाये मन को,ऐसा लक्ष्य साधा है। ऐसे ही मन के विचारों को कविता में बाँधा है, जो छू जाये मन को,ऐसा लक्ष्य साधा है।
मित्र मेरे ! मित्र मेरे !